102 Not Out - बाप Cool बेटा Old School
Avengers: Infinity War तो आप सभी
लोगो ने देख
ही ली होगी
और जिन्हों ने
नही देखी वो
आगे देखने वाले
होंगे | लेकिन आज जिस
movie के बारे में
मैं आपको बताने
जा रहा हूँ
वो शायद ज़्यादा
दिन लग भी
ना पाए. film का
नाम हैं 102 Not Out, lead roles में हैं
Amitabh Bachchan, Rishi Kapoor और
Jimit Trivedi. Film का
trailer आप यहाँ
देख सकते हैं
और film देखनी हैं या
नहीं ये आप
review पढ़ कर बाद
में सोच सकते
हैं.
Trailer
देखने पर हम
समझ जाते
हैं की film का
नाम 102 Not Out क्यूँ रखा गया
हैं| कहानी हैं
एक बाप(दत्ता)
और बेटे (बाबू)
के बीच की,
दत्ता की उमर
हैं 102 और बेटे
की 75| कहानी की शुरूवात
में ही बताया
जाता हैं की
दत्ता की उमर
चाहे 102 हो लेकिन
दिल से वो
अभी भी एक
26 साल के लड़के
की तरह हैं|
वहीं दूसरी तरफ
उनका बेटा (बाबू)
एक दम उल्टा|
उसके हिसाब से
अब उसकी ऐसी
उमर नही बची
की वो ये
सब मस्ती कर
पाए| इसलिए एक
दिन Datta को अचानक
से सूझता हैं
कि अपने बेटे
को वो वृधाश्रम
भेज दे| datta अपने
बेटे को बोलते
हैं की अगर
वो उस से
दूर रहेगे तो
शायद दुनिया में
सबसे ज़्यादा जीने
का record बना सके
क्यूँ कि उनके
हिसाब से ज़्यादा
जीने के लिए
खुश रहना बहुत
ज़रूरी हैं| वो
ऐसा क्यूँ करते
हैं ये बात
अलग हैं, पर
babu वहाँ नही जाना
चाहता इसलिए वो
datta के पास जाता
हैं और बोलता
हैं कि उसे
नही जाना| दत्ता
उसे कहते हैं
क़ि अगर उसे
वहाँ नही जाना
हैं तो उसे
6 शर्ते माननी होंगी| अगर
वो उन 6 शर्तो
को पूरा कर
लेता हैं तो
वो उसे वृधाश्रम
नही भेजेगे| जब
पहली शर्त आती
हैं तो लगता
हैं कि कुछ
interesting होगा क्यू कि
एक तो पहले
से ही इतनी
अजीब सी इच्छा
कि उनका बेटा
वृधाश्रम जाए उपर
से ये अजीब
शर्ते| कहानी आगे बढ़ती
हैं और babu वो
सभी शर्ते पूरी
कर देता हैं|
पूरी फिल्म इन्ही
6 शर्तो पर ही
हैं,|
पहली शर्त
आते ही आपको लगता
हैं की ये
बाप अपने बेटे
से क्या करवाना
चाह रहा हैं,
कुछ interesting सा लगता
हैं , आप सोचते
हैं कि आगे
और भी मज़ा
आएगा, लेकिन जैसे
ही दूसरी शर्त
आती हैं तो
आपको लगता हैं
कि अब तोड़ा
अजीब हो रहा
हैं, बहुत ही
unnecessary शर्त लगती हैं
फिर तो हर
शर्त ही ऐसी
लगने लगती हैं
कि ये हो
क्या रहा हैं,
ऐसा क्यू कर
रहा हैं ये
बाप अपने बेटे
के साथ? थोड़ी
देर बाद आप
खुद ही समझ
जाते हैं कि
आगे ऐसा ही
चलने वाला हैं,
जब first half ख़त्म होता हैं
तब तक 5 शर्त
पूरी हो चुकी
होती हैं second half पूरा
उस आख़िरी एक
शर्त पर हैं,
और जब end में
बताया जाता हैं
कि ऐसा क्यू
कराया जा रहा
हैं तो आपको
लगता हैं कि
ये तो शुरू
से ही पता
था हमे| आपको
लगता हैं की
क्या सिर्फ़ इसीलिए
एक बाप अपने
बेटे को ये
शर्ते पूरी कराने
में लगा हुआ
था? acting तो normal ही हैं,
ऐसा लगता नही
हैं उन्हे देख
कर की वो
सच में ऐसे
हैं, बार बार
यही लगता हैं
कि ये एक
character कर रहे हैं
इसीलिए ये सब
ऐसी acting कर रहे
हैं| जो दत्ता
का character हैं, वो
एक दम मस्ती
वाला हैं, लेकिन
वो जम नही
रहा हैं| एक
time बाद वो मस्ती
भी ऐसी लगती
हैं कि ये
सब उन्हे करना
हैं इसीलिए कर
रहे हैं, natural नही
लगता datta का character|
पूरी film में दत्ता
की एक आदत
हैं जिसने मुझे
बहुत irritate किया और
वो था उनका
बार बार "yoo" करना|
ऐसा लगता हैं
की वो character का
part नही हैं बस
वो "Yoo" इसीलिए डाला गया
हैं जिस से
उन्हे वो 26 साल
वाले आदमी के
दिल वाली बात
को justify किया जा
सके| बाबू ने
जो भी किया
हैं सही किया
हैं, वो लगते
हैं कि वो
सच में ऐसे
ही हैं, उनकी
और Jimit Trivedi की comedy अच्छी लगी
हैं| जब datta उन्हे
आख़िरी शर्त के
पीछे का कारण
बता ते हैं,
वो आपको लगता
हैं क़ी इसके
अलावा और कोई
कारण हो भी
नही सकता, आप
उस कारण को
easily predict कर सकते हैं,
आप को लगता
हैं की हां
यही हो सकता
हैं इसका कारण
और कुछ बैठ
भी नही रहा
story के हिसाब से| एक
चीज़ हैं जो
मुझे बहुत अच्छी
लगी इस movie में,
और वो हैं,
movie के बीच में Kishore Kumar के गाने| दत्ता बीच
बीच में पुराने
गाने सुनते हुए
दिखाए गये हैं,
वो गाने वाकई
में बहुत अच्छे
लगते हैं|
कहानी के end में
दत्ता एक अजीब
सा dialogue मारते हैं,
“मरने के मैं
सक्त खिलाफ हूँ,
जब तक ज़िंदा
हो तब तक
मरना नहीं हैं”
Great review. Pointed out the details perfectly. Waiting for more reviews.
ReplyDeletePlease do Omerta as well.
Thank you for the appreciation. Can you tell me from where did you find about my blog? this is for promotional purpose i am asking
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