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Friday, June 30, 2017

The Greatest Story Ever Told

Sholay (The Greatest Story Ever Told)









मैं जानता हूँ कि आप में से बहुत से लोग GST के लागू होने का इंतेज़ार कर रहे होंगे और बहुत से लोग शायद TV पर news channel इधर से उधर घुमा रहे होंगे, लेकिन इसी बीच मैं अपने घर पर बैठा एक ऐसी film देख रहा था जिसकि मिसाल दो दोस्तो के लिए दे जाती हैं, इसी फिल्म ने हमे बताया कि दोस्ती क्या होती हैं और कैसे निभाई जाती हैं, film का नाम हैं
RameshSippy का निर्देशन, R. D. Burman का music और उस वक़्त कि मशहूर जोड़ी Salim-Javed का Screenplay| इस film के बारे में मुझे मेरे father ने जब पहली बार बताया था तो उन्होने कहा था कि जब ये film 1975 में आई थी तब वो इसे नही देख पाए थे लेकिन जब कुछ साल बाद ये film वापस release हुई तब वो इसे cinema hall में देखने गये| मैने तब यही सोचा था कि क्या वाकई में ऐसी कोई movie हो सकती हैं जिसे देखने आप वापस इतने सालो बाद जाए? क्या वाकई में कोई film ऐसी हो सकती हैं जिसकि गानो कि cassettes के साथ साथ dialogues कि भी cassettes बिकि हो? जी हा यही सच हैं, film को critics ने negative reviews दिए लेकिन जैसा कि मेरे father बताते हैं कि इस जिन लोगो ने शुरू में ये film देखी वो जब cinema hall से बाहर आए तो वो इसी film के dialogues को इधर उधर रोज के काम काज़ो में use किया करते थे जैसा कि एक उधारण मेरे father देते हैं कि जब वो ये film देख कर आए उसके बाद जब भी हमारे यहा कोई मेहमान आता था तो वो बोला करते थे

"आओ ठाकुर, अभी तक ज़िंदा हो"

और जैसा कि बताया जाता हैं यही वजह बनी कि  इस film को negative reviews मिलने के बाद भी यह फिल्म blockbuster बनी, इसे हम दूसरे शब्दो में mouth publicity भी कहते हैं, मैं तो एक बार यही सोच कर हिल गया था कि इस फिल्म के dialogues कि भी audio cassettes बिकि हैं| आज के ज़माने में ऐसा सुन कर बड़ा अजीब लगता हैं कि लोग सिर्फ़ वो फिल्म को audio में सुन ने के लिए ये cassettes खरीदा करते थे,
आज ये post लिखने के पीछे मेरा ये उद्देश् नही हैं कि मैं इस फिल्म का review करने बैठा हूँ, ये उन फ़िल्मो में से हैं जिसे review करना मेरी बेवकूफी होंगी| क्यू कि  मेरे हिसाब से ये एक दम perfect फिल्म हैं, मैने जितनी बार भी ये फिल्म देखी हैं मुझे पता नही कभी बोरियत नही हुई, इसका एक कारण शायद यह भी हो सकता हैं कि मैं इस film को जब भी देखता हूँ तो मेरे मन में कही ना कहीं ये ख़याल चलता रहता हैं कि  अब ये scene आने वाला हैं, वो देख लेता हूँ, जैसा कि जब मैं आज देखने बैठा तो मुझे वो famous train वाला action देखना था जिसमे शुरू में जय, वीरू और ठाकुर एक साथ train में, घोड़े पर सवार गंडो का मुक़ाबला करते हैं, और तब मुझे याद आता हैं कि एक बहुत ही शानदार scene आने वाला हैं जिसमे Train लकड़ी के एक गत्थे को उड़ती हुई निकल जाती हैं, मैं यकिन के साथ कह सकता हूँ कि आपको ज़रूर वो scene याद होगा, उसके बाद मैं इंतेज़ार करता हूँ कि कब वो गाना आए

"ये दोस्ती हम नही तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे"

आज भी जब भी किन्ही दो दोस्तो कि दोस्ती कि मिसाल दी जाती हैं तो उनको जय और वीरू के नाम से बुलाया जाता हैं, इसी गाने ने हमे बताया कि दोस्ती का क्या मतलब हैं, उसके बाद आगे बढ़ते हैं तो हमे दिखता हैं, वो scene जिसमे पहली बार गब्बर को दिखाया जाता हैं, जिसमे आते हैं दो सबसे famousdialogues

"अरे ओह सांभा, ज़ारा बताना सरकार कितना इनाम रखे हैं हम पर
पूरे 50 हज़ार
यहाँ से 50-50 कोस दुर जब कोई बच्चा रोता हैं तो उसकि माँ कहती हैं कि सोजा वरना गब्बर आ जाएगा"

और दूसरा

"अब तेरा क्या होगा कालिया?
सरदार मैने आपका नमक खाया हैं,
अब गोली खा...."

आपको पता होता हैं कि अब गब्बर इन्हे मार देगा लेकिन तब भी आप उस scene को वापस पूरा देखना चाहते हैं, कि कैसे हस्ते हुए गब्बर उन तीनो को मारता हैं, वो गब्बर का हसना और उन तीनो को एक साथ मार देना, ही हैं जो आपको वो scene वापस देखने पर मजबूर कर देता हैं  

फिल्म में बीच-बीच में छोटे मोटे हसी मज़ाक के पल भी आते हैं, जैसे कि, जब veeru भगवान शिव के मंदिर में मूर्ति के पीछे जा कर बसंती को बोलता हैं कि उसे वीरू से ही शादी करनी होंगी, और सबसे epic scene जिसमे वीरू पानी कि टंकि पर चढ़ कर suicide करने का नाटक करता हैं, जिसमे वीरू बोलता हैं कि

"I am dying, police coming,
मौसी  going to jailing
मौसी चक्की pising pising pising….”

फिल्म में ऐसे बहुत से मोड़ आते हैं जो आपको हैरान कर देते हैं, जैसा कि जब पहली बार हमे पता चलता हैं कि ठाकुर के दोनो हाथ नही हैं, और जब कहानी flashback में जाती हैं तो आपको पता चलता हैं कि ठाकुर शुरू में ये demand क्यू रखता हैं कि उसे गब्बर जिंदा ही चाहिए| film के अंत में जो सबसे बड़ा suspense कहे या क्या कहे हमे पता चलता हैं वो ये कि जय के पास जो सिक्का होता हैं, वो दोनो तरफ से same होता हैं| और जब जय कि मौत होती हैं तो एक बार के लिए तो आपका दिल भी ये मन में कह देता हैं कि

इसे क्यू मारा जा रहा हैं? ये तो हीरो हैं ये last में देखना बच जाएगा 

लेकिन अंत में जय कि मौत हो जाती हैं, तब आपको ऐसा दुख होता हैं मानो आपके अपना ही कोई दोस्त खो दिया हो, शायद इसी को Acting कहते है, शायद यही होता हैं जब एक बेहतरीन Script, निर्देशन, और music का मेल होता हैं,

Film में characterization पर बहुत ध्यान दिया गया हैं, गब्बर(Amjad Khan), जय(Amitabh Bachchan), वीरू(Dharmendra), बसंती(Hema Malini), Jailor (Asrani), इमाम साहेब (A. K. Hangal) और बाकि सभी, आप के दिमाग़ में कुछ ना कुछ ऐसा छोड़ जाते हैं जिस से आप इनसे relate कर पाते हैं, जैसे
इमाम साहेब का वो dialogue जब उनके बेटे कि मौत हो जाती हैं और वो आ कर बोलते हैं,

"इतना सन्नाटा क्यूँ हैं भाई"

जब बसंती कि entry होती हैं तो
"चल धन्नो"

गब्बर का एक और famous dialouge
"जो डर गया, समझो मार गया"

जय का वो harmonica पे वो धुन बजाना

ये सब चीज़े इतनी ज़यादा तरीके से दिखाई गयी हैं कि आप समझ सकते हैं कि script पर कितनी मेहनत कि गयी होगी     
यह post लिखने के पीछे मेरा एक हे कारण था कि मैं ये आप सभी को बता सकु कि यह उन फ़िल्मो में से एक हैं जिन्हे आपको मरने से पहले देखना चाहिए| और आज ये post लिखने का सबसे बड़ा कारण ये भी हैं कि आज मैने ये film अपने father के साथ देखी, क्यू कि एक वही ऐसे इंसान हैं जिन्होने मुझे शुरू से हे फ़िल्मो में बाँधे रखा, आज मैं ये जो पोस्ट लिख रहा हूँ, ये करने की हिम्मत भी मुझे उन्ही से आई क्यू कि अगर वो मुझे इस दुनिया से वाकिफ़ नही करवाते तो शायद आज मैं ये नही लिख रहा होता...
हो सकता हैं कि मेरे इस post में बहुत सी चीज़े छूट गयी हो जो इस film में थी, मैं यही request करूँगा कि आप वापस ये movie देखे और उन चीज़ो को ढूँढे जो इस movie को आपके लिए ख़ास बनाती हैं,...

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