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Sunday, July 22, 2018

Dhadak Review - At least make a good remake, if not a good movie


Dhadak


एक बार की बात हैं, मैं Mumbai गया हुआ था, और जिस दिन मुझे train पकड़नी थी उस दिन मैं जब auto से स्टेशन की तरफ जा रहा था तब मैने देखा कि बहुत सारे लोग एक गाड़ी के पीछे भाग रहे हैं, बहुत सारो से मेरा मतलब हैं कि 500 से कम लोग नही होंगे, मुझे लगा शायद कोई बहुत Actor होगा, सलमान या शाहरुख, लेकिन जब ऑटो वाले ने रोक कर पूछा की लोग किसके पीछे भाग रहे हैं तो एक आदमी ने बताया कि Sairat के hero, heroine जा रहे हैं, तब मैने इस फिल्म के बारे में बहुत सुना था लेकिन ऐसा नही पता था की लोगो को ये फिल्म इतनी पसंद आई हैं| उस दिन मैं यही सोच कर रह गया कि कभी मौका लगा तो देखेगे और जब कल मैने वो फिल्म देखी तो मुझे सच में लगा कि अगर मैं उस भीड़ का हिस्सा होता तो शायद मैं भी उस गाड़ी के पीछे भाग पड़ता| Sairat को direct किया हैं Nagraj Manjule ने, और music हैं अजय-अतुल का | मुझे आज से पहले कोई idea नही था की Nagraj Manjule कौन हैं और उन्होने कौनसी फ़िल्मे बनाई हैं, लेकिन Sairat देखने के बाद मैं अब उनकी हर आने वाली फिल्म का इंतेज़ार करूँगा| Sairat का trailer आप यहा देख सकते हैं




दूसरी तरफ हैं Dhadak, Sairat की official Remake जो Dharma Production की बनाई हुई हैं | जितनी ही अच्छी Sairat हैं उतनी ही बुरी Dhadak | फिल्म में कुछ बाते अच्छी हैं लेकिन वो भी सिर्फ़ इसीलिए क्यू कि वो Sairat से frame to frame ली गयी हैं| जैसे कि अब आप movie के गाने ही ले लीजिए अच्छे हैं, लेकिन सिर्फ़ इसीलिए क्यू कि वो Sairat से लिए गये हैं| वैसे तो Dhadak official remake हैं लेकिन कुछ बाते हैं जो Dhadak को Sairat से एक दम अलग बनती हैं, जैसे कि Sairat में एक feel हैं, प्यार की, जो की Dhadak में नही हैं| Sairat में, उसकी सबसे ख़ास बात हैं उसकी rawness जो की Dhadak में कभी नही आ सकती क्यू कि इसे बनाया भी Dharma ने हैं| Sairat में एक social issue हैं उँची और नीची जात के बीच का जो कि Sairat में बहुत ही अच्छे तरीके से बैठ रहा हैं, Dhadak में भी वो सब दिखाने की कोशिश करी हैं लेकिन वो इतना ज़बरदस्ती लगता हैं और वो ऐसा लगता हैं की बस Sairat का remake बना ना था इसलिए डाल दिया, ना तो वो issue उभर के आया हैं और ना ही उस issue पे इतना ध्यान दिया हैं, acting की बात ना ही करे तो अच्छा हैं, Sairat is way much better than Dhadak, lastly ending, Dhadak की ending Sairat से थोड़ी सी अलग हैं, लेकिन वो भी ऐसी हैं की आपको गुस्सा आ जाएगा end में की ये क्या हुआ? इतना abrupt end| मेरी माने तो Film TV पर ही देखना सही रहेगा|



Sairat कहानी हैं गाव के एक मछुआरे के लड़के और ज़मींदार की लड़की की, जो एक दूसरे  से प्यार करते हैं| अगर सिर्फ़ एक line में कहा जाए तो बस यही हैं पूरी फिल्म, लेकिन असल मैं कहानी इस से कही ज़्यादा हैं| कहानी में ऐसी बहुत सी चीज़े हैं जो इसे एक normal love story होते हुए भी एक extraordinary फिल्म बनाती हैं| कहानी के first half में सिर्फ़ प्यार ही प्यार हैं, और बहुत ही तरीके से दिखाया हुआ प्यार, कोई धूम धड़ाका नही, कोई आँखो को रुझाने वाली चीज़े हैं, एक simple सा प्यार, जो एक college से शुरू होता हैं और आगे तक जाता हैं| फिल्म के first half को देख कर आपको इतना अच्छा लगेगा की आप भी झूमेगे गानो के साथ, आप भी उनके प्यार को महसूस करेगे, क्यू कि Nagraj Manjule ने उस पूरे first half को इतने सुंदर तरीके से दिखाया हैं की आप के दिमाग़ में बस वही चलेगा और आप ये भूल जाएगे की आप एक movie देख रहे हैं| दोनो अभिनेताओ ने बहुत ही natural और simple acting करी हैं, आप वो देख कर मानेगे ही नही कि वे दोनो पहली बार किसी फिल्म मैं काम कर रहे हैं| अगर बात करे film के second half की तो जिस तरह फिल्म का first half आपको उनके प्यार में बहा ले चलेगा उसी उसी तरह फिल्म का second half आपको बताएगा की प्यार को अगर सिर्फ़ प्यार की तरह देखा जाए तो वो करना बहुत आसान हैं, लेकिन जब आप एक समाज में रहते हैं तो चीज़े बहुत बदल जाती हैं, क्यू कि असल जिंदगी में सिर्फ़ प्यार नही होता और भी बहुत चीज़े होती हैं क्यू कि और bollywood फ़िल्मो में सिर्फ़ प्यार ही दिखाया जाता हैं उसके आगे और पीछे की चीज़े नही| उनमे सिर्फ़ यही दिखाया जाता हैं, कि बस प्यार नाम की एक चीज़ हैं उस से आगे कुछ नही, उनमे ये नही दिखाया जाता कि कुछ चीज़े ऐसी भी हैं जो आपके control में नही होती जैसे समाज की सोच| आज भी भारत में उँची और नीची जाती के लोगो को एक स्तर पर नही देखा जाता, तो ऐसे दो लोगो का प्यार करना तो बहुत ही बड़ा गुनाह हैं, ऐसी bollywood फ़िल्मो में ये दिखाया जाता हैं की बस लड़की को भगा लो, ये नही दिखाया जाता की भागने के बाद जो हालत होती हैं, जो परेशानिया होती हैं वो सब प्यार का हिस्सा नही हैं| ऐसी bollywood फ़िल्मो में ये नही दिखाया जाता की end में सब सही हो जाए ये ज़रूरी नहीं, क्यू कि इसका नाम life हैं और life और फिल्म में दिन- रात का अंतर हैं| ऐसी ही बहुत सी चीज़े जो हमे bollywood फ़िल्मो में नही दिखाई जाती वो सब चीज़े हमे Nagraj ने Sairat में ला कर दिखाई हैं| फिल्म की starting से end तक ऐसी एक भी चीज़ नही आती जिस से आपको लगे की अब तो ये बहुत ज़्यादा हो रहा हैं, हर एक चीज़ इतनी realistic हैं कि आप second half में एक बार के लिए तो ये भूल जाएगे कि आप एक love स्टोरी देख रहे हैं|

Sairat की सबसे सुंदर बात जो हैं वो हैं उसकी rawness, इतनी realistic feel के साथ movie चलती हैं कि आपको हर चीज़ एक दम सही लगेगी, ना कोई illogical बाते, ना unnecessary drama, ना reaction, ना overacting| सब कुछ अपनी जगह एक दम perfect| फिल्म का budget था 4 crore Rs. और फिल्म ने कमाए हैं 110 crore, अब इस से ज़यादा मैं और क्या बोलू? इस movie को Berlin International Film Festival में standing ovation मिला था| ये सभी बाते सुन कर मैं चौका नही, क्यू कि ये फिल्म ये सब deserve करती हैं| अगर first half आपको प्यार महसूस करवाएगा तो वही दूसरा half आपको बताएगा की प्यार अस्ल ज़िंदगी में कैसा होता हैं|

फिल्म की दूसरी जान हैं वो हैं music| अजय-अतुल का music आप resist ही नही कर सकते| आप कितनी भी कोशिश करले आपके पाव ज़मीन पर नही रहेगे, आप भी थिरकेगे, चाहे आप मराठी हो या ना हो, चाहे आप मराठी गाने सुनते हो या ना हो, लेकिन जब भी अजय-अतुल का music फिल्म में आता हैं तो आप अपने आप को नही रोक पाएगे| और ये उन कुछ reasons में से एक हैं जो फिल्म को बहुत हे ज़्यादा impactful बनाता हैं  

अंत में अगर conclude करू तो बस यही हैं कि ,आप पूरी ज़िंदगी सिर्फ़ प्यार करके नही काट सकते, आपको और भी बहुत कुछ करना होता हैं, प्यार ज़िंदगी नही हो सकता, क्यू की प्यार ज़िंदगी का एक part हैं, और ज़िंदगी में और भी बहुत चीज़े आपको बिना बताए हो सकती हैं|

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